वह शक्ति हमें दो दयानिधे
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें
पर-सेवा पर-उपकार में हम
जग-जीवन सफल बना जावें
शक्ति हमें दो दयानिधे
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के
सेवक बन संताप हरें
जो हैं अटके, भूले-भटके
उनको तारें खुद तर जावें
शक्ति हमें दो दयानिधे
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ
अन्याय से निशिदिन दूर रहें
जीवन हो शुद्ध सरल अपना
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें
शक्ति हमें दो दयानिधे
निज आन-बान, मर्यादा का
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे
जिस देश-जाति में जन्म लिया
बलिदान उसी पर हो जावें
शक्ति हमें दो दयानिधे
प्रार्थना को पूर्ण करने के लिए, हम सभी को मिलकर एकजुट होकर कार्य करना होगा। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और दूसरों की सेवा करनी होगी। हमें दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। हमें सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए। हमें अपने देश और जाति के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
यदि हम सभी मिलकर इन सभी बातों का पालन करते हैं, तो हम इस प्रार्थना को पूर्ण कर सकते हैं। हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग सुखी और समृद्ध हों।
इस प्रार्थना को पूर्ण करने के लिए, हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
- कर्तव्यों का पालन करना: हम अपने कर्तव्यों का पालन करके एक जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं। हम अपने देश, समाज और परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।
- दूसरों की सेवा करना: हम दूसरों की सेवा करके एक सच्चे इंसान बन सकते हैं। हम जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं और उनके दुखों को दूर कर सकते हैं।
- सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना: हम सत्य और न्याय के मार्ग पर चलकर एक अच्छे इंसान बन सकते हैं। हम दूसरों के साथ ईमानदार रहें और उनके साथ न्याय करें।
- अपने देश और जाति के प्रति समर्पित रहना: हम अपने देश और जाति के प्रति समर्पित रहकर एक अच्छे नागरिक बन सकते हैं। हम अपने देश की रक्षा कर सकते हैं और उसकी उन्नति में योगदान दे सकते हैं।
यदि हम सभी मिलकर इन सभी बातों का पालन करते हैं, तो हम इस प्रार्थना को पूर्ण कर सकते हैं। हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग सुखी और समृद्ध हों।
“वह शक्ति हमें दो दयानिधे” के कवि का नाम
प्रार्थना “वह शक्ति हमें दो दयानिधे” को मुरारीलाल शर्मा बालबंधु ने लिखा था। वे एक हिंदी कवि, लेखक और शिक्षक थे। उनका जन्म 1893 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। उन्होंने कई कविताएं, उपन्यास, नाटक और निबंध लिखे। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में “वह शक्ति हमें दो दयानिधे” और “महाभारत” शामिल हैं।
मुरारीलाल शर्मा बालबंधु एक राष्ट्रीय चेतना के कवि थे। उनकी कविताएं सामाजिक न्याय, समानता और राष्ट्रवाद की भावना से भरी हुई हैं। उनकी प्रार्थना “वह शक्ति हमें दो दयानिधे” एक बेहतर दुनिया के लिए एक आह्वान है। यह हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने, दूसरों की सेवा करने, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने और अपने देश और जाति के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती है।