कोरापुट एक नगर और एक नगर पालिका है जो भारतीय राज्य ओडिशा के कोरापुट जिले में स्थित है। कोरापुट नगर कोरापुट जिले का जिला मुख्यालय है। यहां का स्थापना अत्यंत प्राचीन समय में हुआ था और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। कोरापुट नगर, जिसे अपने प्राचीनतम नामों में से एक से संबोधित किया जाता है, आज एक सकारात्मक और विकसित नगर के रूप में उभरा है।
इस नगर में भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का सुनहरा विरासत है। यहां के प्रमुख स्थलों में प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक स्मारक, और सांस्कृतिक स्थल शामिल हैं, जो दर्शनीयता को और बढ़ाते हैं। कोरापुट नगर प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में भी पहचाना जाता है, और यहां की प्राकृतिक सौंदर्य से लुभाने वाले दृश्य भी यहां के आकर्षण को बढ़ाते हैं।
कोरापुट नगर पालिका ने स्थानीय सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नगर के विकास को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्वशासन के प्रति जनसमर्थन का आदान-प्रदान है, और इसने आसपास के क्षेत्रों में जनता के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं।
कोरापुट नगर का महत्वपूर्ण भूगोलिक स्थान और ऐतिहासिक धरोहर इसे एक प्रमुख स्थान बनाते हैं, जो समृद्धि, सांस्कृतिक समृद्धि, और पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय पहचान बनाए रखता है।
इतिहास
कोरापुट जिला अपने मुख्यालय कोरापुट शहर से अपना नाम प्राप्त करता है। प्राचीन समय में जब नाला वंश इस क्षेत्र पर शासन कर रहा था, तो आधुनिक उमरकोट के पास पुष्करी नामक नगर राजधानी थी। मध्यकालीन काल में, सीलावंशी राजाओं के अधीन एक छोटे से राज्य के रूप में नंदापुर विकसित हुआ, जिसे बाद में कश्मीर से इस क्षेत्र में 13वीं सदी में आए सूर्यवंशी राजाओं ने विस्तारित किया। बाद में, महाराजा वीर विक्रम देव ने अपनी राजधानी जेयपुर में स्थानांतरित की और 17वीं सदी के बीच, यह शहर ब्रिटिश प्रशासन के तहत समृद्धि की ओर बढ़ा। कोरापुट को ब्रिटिश ने 1870 में बेहतर स्वास्थ्य की दृष्टि से चयन किया। कोरापुट के नाम की उत्पत्ति अस्पष्ट है। कई सिद्धांत हैं, जिनमें से कोई भी प्रेरक नहीं है।
कोरापुट जिला एक मिश्रण है जिसमें ऐतिहासिक गहराई और समृद्धि की कहानी है। जेयपुर राज परिवार के संस्थापक विनायक देव ने सीलवांसी राज्य की साझेदारी का महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि जिले के अंतर्गत आने वाले कई गाँव और नगर अपने ऐतिहासिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। आज, कोरापुट एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है, जिसमें पहाड़, जंगल और प्राचीन मंदिर शामिल हैं।
श्री आर.सी.एस. बेल के अनुसार शहर का नाम ‘कोरा-पुट्टी’ या ‘नक्स-वॉमिका का गाँव’ है और यह संकेत रूप से एक पेड़ या पेड़ों से उत्पन्न हो सकता है जो किसी समय स्थान के आस-पास प्रमुख थे। लेकिन आज कोरापुट शहर के आस-पास नक्स-वॉमिका का कोई एक भी पेड़ नहीं है, इसलिए मिस्टर बेल का कल्पना पर प्रश्न खुला है।
दूसरे सिद्धांत के अनुसार, कोरापुट ‘करका पेंथो’ का रूप है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हेल-स्टोन’। यह भी माना जाता है कि नंदापुर राजाओं के समय एक ‘खोरा नायको’ ने गाँव की नींव रखी थी। शायद वह रानपुर से था और नंदापुर के राजाओं के तहत सैन्य में सेवा करता था, और उसकी ईमानदार और योग्य सेवाओं के लिए उसे इस गाँव की स्थापना करने की अनुमति थी, जिसे उसके नाम पर खोरा पुटु कहा गया था, और बाद में, नाम को ‘कोरापुट’ में संक्षेपित किया गया।
कोरापुट एक पर्यटन स्थल भी है। यह शहर पहाड़ों, घने जंगलों और झरनों से घिरा हुआ है। इस शहर में कई पुराने मंदिर भी हैं।
दूसरों के लिए अनुकरण के लिए सामाजिक सफलता की चिन्हित घटना, पिछले दो वर्षों में, जिले के सिमिलिगुड़ा ब्लॉक के अंतर्गत स्थित गैर-लकी बोंडागुड़ा गाँव के लगभग 220 आदिवासी गाँववाले पूरी तरह से खुले में मल-मूत्र मुक्त हो गए हैं, जिनमें से प्रत्येक के घर में शौचालय बनाए गए हैं।
आदिवासी समुदाय
उड़ीसा के कोरापुट के आदिवासी लोग कोरापुट उड़ीसा के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक आदिवासी बेल्ट का हिस्सा है। ‘आदिवासी’ शब्द अक्सर एक नकारात्मक संबोधन को सूचित करता है, इस क्षेत्र के स्थानीय लोगों को इसे ‘आदिवासी’ के रूप में जाना जाना अधिक पसंद है, अर्थात “मौलिक निवासी”। इस जिले में कई विभिन्न आदिवासी समुदाय रहते हैं।
आदिवासी कला (भाषाओं सहित), ज्ञान और आजीविका उनके स्थानीय पारिस्थितिकियों से गहरे रूप से जुड़ी हैं।
हाल ही तक अधिकांश क्षेत्र गहरे जंगल से ढका हुआ था। वनस्पति कटौती, औद्योगिकरण और शहरीकरण के परिणामस्वरूप, कई आदिवासी समुदायों ने नए जीवन शैली को अपनाया है। हालांकि, कई आदिवासी हट पोड़ा (या हाट के रूप में लोकप्रिय) कहलाए रविवार बाजारों में उत्पाद (सब्जियां और फल) बेचने की परंपरा बनाए रखते हैं।
डोंगर त्योहार (या परब) को प्रतिवर्ष दिसंबर के पहले और दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से आदिवासी जीवन को प्रदर्शित करना है, जिला प्रशासन द्वारा संचालित। इस त्योहार पर कई विदेशी पर्यटक आते हैं। इस त्योहार पर आलोचना हुई है, जिसमें यह आरोप किया गया है कि आदिवासी रुटबे से हिचकिकर भाग लेते हैं, जो पर्यटन उद्योग के लाभ के लिए “संग्रहालय के नमूने” की भांति प्रदर्शित किए जाते हैं।
साबरा श्रीखेत्र (जगन्नाथ मंदिर)
कोरापुट में स्थित जगन्नाथ मंदिर को साबरा श्रीखेत्र भी कहा जाता है। कोरापुट जगन्नाथ मंदिर से अधिकांशत: प्रसिद्ध है, जिसे साबरा श्रीखेत्र के नाम से भी जाना जाता है। श्रीखेत्र को सामान्यत: पुरी जगन्नाथ कहा जाता है, लेकिन कोरापुट मंदिर की अनूठी पहचान इसलिए है क्योंकि इसमें समाज के किसी भी वर्ग को प्रवेश की रोक नहीं है।
विश्लेषणात्मक जनजाति अध्ययन परिषद (सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत), जो एक विश्वविद्यालय-सारंगी शैक्षिक संस्थान है, जनजाति की जीवनशैली, रीति-रिवाज, चिकित्सा, भाषा, सामाजिक संरचना और इतिहास को संरक्षित और शिक्षित करने का सफल प्रयास है। वाणिज्यिक प्रणाली में इसे और प्रभावी बनाने के प्रयास के लिए, सीओएटीएस ने गरीब जनजातियों की दिन-प्रतिदिन की स्थिति को दर्ज कर रहा है और यह जानकारी स्थानीय प्रशासन को प्रदान कर रहा है।
भूगोल
कोरापुट की स्थिति 18.82° उत्तरी अक्षांश और 82.72° पूर्वी देशांतर पर है।[7] इसकी औसत ऊचाई 870 मीटर (2,850 फीट) है।
ओडिशा के कई प्रमुख नदियाँ जैसे मछाकुंडा, वम्सधारा और कोलाब इस जिले से होकर गुजरती हैं। इस जिले में दुदुमा, बागड़ा और खंडहाटी जैसे झरने भी हैं। इसमें ओडिशा का सबसे बड़ा पहाड़, देओमाली, और चंद्रगिरि पहाड़ भी हैं। कोरापुट जिला जेयपुर, दुदुमा, बागड़ा, सुनाबेड़ा एमआईजी फैक्टरी जैसी महत्वपूर्ण स्थानों के लिए प्रसिद्ध है। कोरापुट का कुल क्षेत्रफल 8,807 किलोमीटर वर्ग है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले में कुल 13,79,647 जनसंख्या है, जिसमें साक्षरता दर 36.20% है। कोरापुट कृषि गतिविधियों पर आधारित है। इस जिले की कुल कृषियों की जमीन 3,01,000 हेक्टेयर (7,40,000 एकड़) है। 157 किलोमीटर लंबी एक राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ यह जिला ओडिशा के सभी अन्य जिलों से संबंधित है। गुप्तेश्वर, नीलाबड़ी, नंदापुर, सुनाबेड़ा, दुदुमा जलप्रपात, (सवरा श्रीखेत्र), अंकडेली कोरापुट के प्रमुख आकर्षण हैं।
कोरापुट में केचाला झील: केचाला झील कोरापुट में स्थित है। यह एक प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है जो अपने शानदार और शांतिपूर्ण पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध है। केचाला झील का सुरम्य आबादी के साथ एक सुंदर तट है, और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए लोग आते हैं।
कोरापुट की टेबल माउंटन: कोरापुट की टेबल माउंटन ओडिशा का सबसे ऊचा पर्वत है। यहां से लोग शानदार दृश्यों का आनंद लेते हैं और इस पर्वत की ऊँचाई से पूर्व में सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत होता है। टेबल माउंटन कोरापुट के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो यात्रीगण को अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांतिपूर्ण वातावरण से प्रभावित करता है।
कोरापुट में सूर्यास्त: कोरापुट में सूर्यास्त एक आकर्षक दृश्य है जो यहां के नैसर्गिक सौंदर्य को और भी महकता है। जब सूर्य पश्चिमी दिशा में अस्त होता है, तो वहां का मौसम और भी रमणीय बन जाता है। लोग यहां अपने प्रियजनों के साथ या आत्मसमर्पण के लिए सूर्यास्त का आनंद लेने आते हैं।
पहाड़ी स्थल
दक्षिण ओडिशा के जनजाति बेल्ट के हृदय में स्थित होने के कारण, इसके पास कई पहाड़ी स्थल हैं, हालांकि वे भारत के अन्य प्रसिद्ध पहाड़ी स्थलों की तरह प्रसिद्ध नहीं हैं। मचकुंड, ओनुकडेल्ली, जलपुट, चिंद्री, हाथीपथर, (देओमाली) पोटांगी आदि ऐसी जगहें हैं जो अपनी रूपरेखा सौंदर्य के लिए दर्शनीय हैं।
विवरण: यहां ओडिशा के दक्षिणी क्षेत्र की जनजाति बेल्ट के केंद्र में स्थित होने के कारण, यहां कई सुंदर पहाड़ी स्थल हैं, यद्यपि वे भारत के अन्य प्रसिद्ध पहाड़ी स्थलों की तुलना में उतने प्रसिद्ध नहीं हैं। मचकुंड, ओनुकडेल्ली, जलपुट, चिंद्री, हाथीपथर, (देओमाली) पोटांगी आदि ऐसी जगहें हैं जो अपनी रूपरेखा सौंदर्य के लिए दर्शनीय हैं।
मचकुंड – मचकुंड, भारत के ओडिशा के कोरापुट जिले में स्थित, गोदावरी की सहायक नदी मचकुंड नदी के तट पर स्थित है। यह शहर प्राकृतिक सुंदरता और भारत के सबसे पुराने जलविद्युत स्टेशनों में से एक, मचकुंड जलविद्युत परियोजना से निकटता का दावा करता है।
1940 के दशक में निर्मित मचकुंड जलविद्युत परियोजना ओडिशा को बिजली देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस परियोजना में एक बांध, एक बिजली स्टेशन और नहरों का एक नेटवर्क शामिल है। 154 मीटर ऊंचा बांध मचकुंड नदी पर है, जबकि पावर स्टेशन की क्षमता 120 मेगावाट है।
मचकुंड एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां विभिन्न होटल और रिसॉर्ट उपलब्ध हैं। पर्यटक नौकायन, मछली पकड़ने और लंबी पैदल यात्रा जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इस शहर में कई मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान शिव को समर्पित मचकुंड मंदिर भी शामिल है।
हालाँकि, शहर का असली रत्न डुडुमा झरना है, जो मचकुंड नदी पर 175 मीटर का एक शानदार झरना है। मत्स्य तीर्थ के नाम से भी जाना जाने वाला यह मनमोहक झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ताज़गी भरी धुंध से लोगों को आकर्षित करता है।
ओनुकाडेली – ओनुकाडेली भारत के ओडिशा के कोरापुट जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह गोदावरी नदी की सहायक नदी मचकुंड नदी के तट पर स्थित है। यह गाँव अपने साप्ताहिक बाज़ार के लिए जाना जाता है, जो गुरुवार को लगता है। यह बाज़ार आसपास के गांवों के लोगों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है, और यह स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह खरीदने के लिए एक शानदार जगह है।
स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने के लिए ओनुकाडेली बाज़ार भी एक बेहतरीन जगह है। ओनुकाडेली के लोग अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते हैं, और वे अपने गांव में आगंतुकों का स्वागत करने में हमेशा खुश रहते हैं। यदि आप एक अद्वितीय और प्रामाणिक यात्रा अनुभव की तलाश में हैं, तो ओनुकाडेली बाजार का दौरा करना सुनिश्चित करें।
देवमाली – देवमाली, 1,672 मीटर ऊंचा, ओडिशा का मुकुट रत्न है, जो आश्चर्यजनक परिदृश्य, विविध वनस्पति और जीव और रोमांच के अवसर प्रदान करता है। आइए आपके द्वारा बताए गए स्थानों के बारे में जानें:
- पेंडाजम: पेंडाजम, जिसे पुतांगी के नाम से भी जाना जाता है, देवमाली के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। यह अनोखा गांव कोरापुट से लगभग 50 किलोमीटर दूर है और इस क्षेत्र की खोज करने वाले कई यात्रियों के लिए आधार शिविर के रूप में कार्य करता है।
- पुतसिल: देवमाली तलहटी के बीच स्थित, पुतसिल एक छोटा सा गांव है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह उन लोगों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है जो प्रकृति के बीच एक शांत छुट्टी चाहते हैं।
- इको रिट्रीट, कोरापुट: प्रकृति के बीच एक शानदार प्रवास के लिए, कोरापुट में इको रिट्रीट पर विचार करें। यह रिट्रीट ट्रैकिंग, प्रकृति की सैर और सांस्कृतिक अनुभवों जैसी गतिविधियों के साथ-साथ स्विस कॉटेज और टेंट सहित विभिन्न आवास विकल्प प्रदान करता है।
- बाराकुटनी वन: देवमाली तलहटी की सीमा से लगा यह घना जंगल, प्रकृति प्रेमियों के लिए एक खजाना है। विविध पक्षी जीवन, स्तनधारियों और पौधों की प्रजातियों का घर, यह ट्रैकिंग, पक्षी अवलोकन और वन्यजीव फोटोग्राफी का स्वर्ग है।
- देवमाली सनराइज पॉइंट: देवमाली की चोटी से सूर्योदय देखना एक अविस्मरणीय अनुभव है। जैसे ही प्रकाश की पहली किरणें पूर्वी घाट को छूती हैं, परिदृश्य को मनमोहक रंगों में रंग देता है, यह एक ऐसा दृश्य है जो हमेशा आपके साथ रहता है।
- देवमाली देसिया इको स्टेज़: देवमाली देसिया इको स्टेज़ में ठहरने के साथ स्थानीय संस्कृति और परंपराओं में डूब जाएं। यह होमस्टे आदिवासी जीवन का अनुभव करने, प्रामाणिक व्यंजनों का स्वाद लेने और पारंपरिक गतिविधियों में भाग लेने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
देवमाली कैंपिंग टेंट: एक साहसिक अनुभव के लिए, देवमाली में तारों के नीचे कैंपिंग का विकल्प चुनें। विभिन्न ऑपरेटर बुनियादी सुविधाओं के साथ कैंपिंग टेंट प्रदान करते हैं, जिससे आप प्रकृति से जुड़ सकते हैं और पहाड़ों की शांति का आनंद ले सकते हैं।
याद रखें, देवमाली की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों (अक्टूबर से फरवरी) के दौरान होता है जब मौसम सुहावना होता है और ट्रैकिंग आनंददायक होती है। मानसून का मौसम (जुलाई से सितंबर) हरी-भरी हरियाली और झरने के झरने प्रदान करता है, लेकिन रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी पसंद क्या है, देवमाली के पास हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। शांत प्रकृति की सैर से लेकर चुनौतीपूर्ण ट्रेक, शानदार प्रवास से लेकर देहाती कैंपिंग और सांस्कृतिक अनुभवों से लेकर लुभावने सूर्योदय तक, यह शानदार चोटी एक अविस्मरणीय रोमांच का वादा करती है।
कोरापुट में घूमने लायक और भी जगहें हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
सेमिलिगुड़ा –
सेमिलिगुड़ा, ओडिशा, भारत के कोरापुट जिले में स्थित एक छोटा शहर है। यह सुनाबेड़ा नगरपालिका का एक उपनगर है और इसका क्षेत्रफल 383 वर्ग किलोमीटर है। सेमिलिगुड़ा का पिनकोड 764036 है।
सेमिलिगुड़ा के कई दर्शनीय स्थल हैं, जैसे कि:
- जगन्नाथ मंदिर
- कोलाब जलाशय
- चापराई जलप्रपात
- अराकु जनजाति संग्रहालय
- कॉफी संग्रहालय
- पद्मपुरम उद्यान
- काटिकी जलप्रपात
- कांगर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
यहां का सौंदर्य, प्राकृतिक स्थल, और सांस्कृतिक संग्रहण सेमिलिगुड़ा को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं और इसे स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाते हैं।
कोरापुट का सबसे निकट शहर जिससे आसानी से जुड़ा जा सकता है।
कोरापुट को रेल और सड़क के माध्यम से राज्य के अन्य हिस्सों और पड़ोसी राज्यों के कुछ प्रमुख शहरों से अच्छी जड़ से जोड़ा गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 26(43) शहर से होकर गुजरता है जो इसे रायपुर और विशाखापत्तनम से जोड़ता है। विशाखापत्तनम और विजयनगरम से कोरापुट के लिए बसें बहुत हैं। जेयपुर, जगदलपुर, उमरकोट आदि की बसें भी कोरापुट से होकर गुजरती हैं।
कोरापुट रेलवे स्थल कोरापुट को रायगढ़ा, विशाखापत्तनम, बेरहम्पुर, जगदलपुर, हावड़ा, भुवनेश्वर, राउरकेला और रायपुर से जोड़ता है।
कोरापुट कैसे पहुँचे
कोरापुट का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और हवाई अड्डा इस प्रकार हैं:
- निकटतम रेलवे स्टेशन: कोरापुट का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन “कोरापुट जंक्शन” है। यह स्थानीय और दूरस्थ ट्रेनों का सेवन करता है और यात्री को विभिन्न शहरों से जोड़ता है।
- निकटतम बस स्टैंड: कोरापुट का सबसे निकटतम बस स्टैंड स्थानीय और दूरस्थ बसों के लिए है जो शहर के सारे क्षेत्रों से जुड़ा होता है। यहां से यात्री अपने गंतव्य के लिए बस सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
- निकटतम हवाई अड्डा: कोरापुट का सबसे निकटतम हवाई अड्डा “वीजायवाड़ा हवाई अड्डा” हो सकता है, जो कुछ दूरस्थ शहरों से उड़ानें स्थापित कर सकता है। यह यात्री को विभिन्न अद्यतित स्थानों से जोड़ता है।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो सबसे ज्यादा पूछे जाते हैं
- कोरापुट में सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं?
- कोरापुट को सबसे पहले डिओमाली या पहाड़ों के लिए जाने जाने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों में जगन्नाथ मंदिर, कोलाब रिजर्वॉयर, चापराई जलप्रपात, अराकु आदिवासी संग्रहालय, कॉफी संग्रहालय, पद्मपुरम उद्यान, काटिकी जलप्रपात, और कैंगर वैली नैशनल पार्क शामिल हैं।
- कोरापुट का नामकरण किसके आधार पर हुआ है?
- कोरापुट का नाम स्थानीय भाषा में “कोरा-पुट्टी” या “नक्सवॉमिका का गाँव” से आया है। इसका अर्थ हो सकता है कि पहले इस क्षेत्र के आस-पास पेड़ों से भरा हुआ गाँव था।
- कोरापुट की ऐतिहासिक महत्वपूर्णता क्या है?
- कोरापुट का इतिहास अपार है, और इसने प्राचीन और मध्यकालीन समयों में नाला वंश, सीलवांसी राजाएँ और सौर वंश के द्वारा शासित हुआ। यहां के महाराजा ने अपने समय में क्षेत्र की राजधानी बनाई और सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक में स्थानांतरित हो गए।
- कोरापुट में स्थित जगहों में से कौन-कौन से धार्मिक स्थल हैं?
- कोरापुट में जगन्नाथ मंदिर, जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, के अलावा इसमें कई पुराने मंदिर भी हैं जो स्थानीय और ऐतिहासिक महत्व के साथ जुड़े हैं।
- कोरापुट में एकीकरण के समय के ऐतिहासिक घटनाएं क्या हैं?
- कोरापुट के एकीकरण के समय, महाराजा वीर विक्रम देव ने अपनी राजधानी को जेयपुर में स्थानांतरित किया और उसने स्वतंत्रता संग्राम और उड़ीसा के एकीकरण में भूमिका निभाई।
- कोरापुट का स्थानीय शौचालय प्रोजेक्ट क्या है?
- कोरापुट में शौचालय प्रोजेक्ट के तहत, सिमिलिगुड़ा ब्लॉक के गैर-लकी बोंडागुड़ा गाँव के लगभग 220 आदिवासी गाँववालों को समृद्धि की दिशा में पहल की गई है।
- कोरापुट के पास स्थित जंगली क्षेत्र कैसा है?
- कोरापुट का आस-पास घने जंगल, पहाड़ियों, और झरनों से घिरा हुआ है, जिससे यह प्राकृतिक सौंदर्यभरित स्थल है।
- कोरापुट के पास स्थित सीमिलिगुड़ा ब्लॉक का महत्व क्या है?
- सीमिलिगुड़ा ब्लॉक का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसमें कई प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे कि कोलाब रिजर्वॉयर, चापराई जलप्रपात, और कांगर वैली नैशनल पार्क शामिल हैं।
- कोरापुट के निकटतम हवाई अड्डे कौनसे हैं?
- कोरापुट का सबसे निकटतम हवाई अड्डा “वीजायवाड़ा हवाई अड्डा” है, जो कुछ दूरस्थ शहरों से उड़ानें स्थापित कर सकता है।
- कोरापुट में किस पिनकोड से पहुंचा जा सकता है?
- कोरापुट का पिनकोड 764036 है, जिससे यह स्थान यात्री के लिए पहुंचने के लिए व्यापक है।